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सरदार हरि सिंह नलवा
भारत के इतिहास में उत्तरी सीमा के निर्धारण तथा इसकी सुरक्षा में जो स्थान जनरल जोरावर सिंह (1786-1841 ई.) का है, वही स्थान भारत की उत्तर पश्चिमी सीमा पर सरदार हरि सिंह नलवा का है। सौभाग्य से ये दोनों समकालीन थे तथा दोनों का बलिदान भारतीय इतिहास की बेजोड़ मिसाल है।
इस पर महाराजा रणजीत सिंह के मुख से अचानक निकला "अरे तुम तो राजा नल जैसे वीर हो।" तभी से नल से हुए "नलवा" के नाम से वे प्रसिद्ध हो गये। बाद में इन्हें "सरदार" की उपाधि प्रदान की गई।
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